न कोई इल्ज़ाम Admin तंज़ शायरी, Sad << तुम बिन मेरी जात अधूरी उस की चाहत का भरम क्या रख... >> न कोई इल्ज़ाम, न कोई तंज़, न कोई रुस्वाई मीरदिन बहुत हो गए यारों ने कोई इनायत नहीं की।This is a great शायरी कोई दीवाना कहता है. Share on: