मेरी खतायें तो गिन गिन कर दर्ज़ करते हो तुम Admin भीगी पलकें शायरी, Dard << दिल जब टूटता है तो आवाज़ ... एक अरसा बीत गया है उसका च... >> मेरी खतायें तो गिन गिन कर दर्ज़ करते हो तुम,फिर मेरी वफाओं का कोई हिसाब क्यों नहीं रखते !मेरे नसीब की बारिश, कुछ इस तरह से होती रही मुझपे........!!कि ख्वाहिशे सुखती रही, और मेरी पलके भीगती रही...........!! Share on: