मिला के खाक में मुझको Admin काबिल शायरी, Dard << रोज जले फिर भी ना ख़ाक हुए ज़िन्दगी सारी गुज़र गई काँ... >> मिला के खाक में मुझको,वो इस अंदाज़ में बोले,"मिट्टी का खिलौना था, कहाँ रखने के काबिल था"...! Share on: