उसे दूर से ही देखता रहा Admin चांदनी की शायरी, Dard << अपने अल्फाजों से चुका रहे... जरा सा झूठ ही कह दो >> उसे दूर से ही देखता रहा ,बस यूँही वक़्त काटता रहा,न जाने क्यों निगाहे थमी रही,बस उसके चेहरे पर ही जमी रही,कभी चाँद समजके कभी चांदनी,हम उसे देखते रहे तहजीब से,पर कभी सोचा नहीं था ,उसका दीदार होगा इतने करीब से। Share on: