आएँ आँसू अगर आँखों में तो बस पी जाएँ हाल सब पूछते हैं हम न कहीं भी जाएँ देखते हो जो कभी महव-ए-सुख़न ख़ुद से हमें हैं वो बातें भी कि ख़ुद से जो फ़क़त की जाएँ हम कई रोज़ से बे-वजह बहुत ख़ुश हैं चलो ज़िंदगी की ये अदाएँ भी तो देखी जाएँ हम तो यूँ चुप हैं कि क्या बात किसी से की जाए फिर भी मुँह से कई बातें तो निकल ही जाएँ राह चलते मैं जिसे देखता हूँ लगता है जैसे बे-वजह सी आँखें हैं कि तकती जाएँ क्या मिलें 'तल्ख़' किसी से कभी आते जाते घर की चौखट पे क़दम रख के पलट भी जाएँ