आँच आएगी न अंदर की ज़बाँ तक ऐ दिल कितनी देर और मिरी जान कहाँ तक ऐ दिल हद ज़ियादा से ज़ियादा की कोई तो होगी और इस हिर्स का फैलाव कहाँ तक ऐ दिल तजरबा तजरबा आज़ाद रग-ओ-पै में रहा कितनी अफ़्सुर्दगी है दहर से जाँ तक ऐ दिल महक उड़ जाएगी तफ़्हीम के लब खुलने से सहर इबलाग़ का है ज़ब्त-ए-बयाँ तक ऐ दिल अक्स ओ आईने की सूरत है हमारा रिश्ता हूँ तिरे साथ तू मेरा है जहाँ तक ऐ दिल हैरत-आसार अजब ख़्वाब लिए बैठा हूँ शायद आ जाए कोई मेरी दुकाँ तक ऐ दिल शोर से अहल-ए-ख़बर के है 'रियाज़' आज़ुर्दा कोई ले जाए उसे बे-ख़बराँ तक ऐ दिल