आग क्या सर्द हुई बर्फ़ को पानी कर के हम भी दरिया हुए महसूस रवानी कर के पूछिए किस से कि वीरान हुए घर कैसे हर कोई ख़ुश है यहाँ नक़्ल-ए-मकानी कर के इन इशारों की कनायों की हक़ीक़त मा'लूम हम ने अल्फ़ाज़ को देखा था मआ'नी कर के इक नए दिन की शुरूआ'त हुई जाती है क़ाफ़िलो आगे बढ़ो ख़त्म कहानी कर के लोग रखते हैं ज़राअत से ज़मीनें ख़ुश-रंग हम भी देखें किसी पोशाक को धानी कर के क़द्र-ओ-क़ीमत में इज़ाफ़े की तलब थी जिन को वही मसरूर हैं अशिया की गिरानी कर के यूँ ही करते रहे जिद्दत का गिला तो 'राहत' हर किसी चीज़ को रख दोगे पुरानी कर के