आह दुनिया सरा-ए-फ़ानी है किस क़दर मुख़्तसर कहानी है ख़ुद को देता हूँ मुस्कुरा के फ़रेब दिल मगर वक़्फ़-ए-नौहा-ख़्वानी है मुझ से हंस-बोल लें मिरे साथी अब कोई दिन की ज़िंदगानी है मौसम-ए-गुल में वो जो आन मिलें हम भी जानें कि रुत सुहानी है बे-सबब तो नहीं बहे आँसू आँसू आँसू में इक कहानी है इक सरापा कि रंज-ओ-यास हैं हम दर्द-ए-दिल मोनिस-ए-जवानी है मुस्कुराऊँ मैं किस तरह 'अलताफ़' ताक में दौर-ए-आसमानी है