आह ऐ सौदा-ए-ख़ाम-ए-आरज़ू ता-ब-कै आख़िर निज़ाम-ए-आरज़ू ज़ब्त-ए-आह-ए-दिल-शिकन और मैं हज़ीं कर रहा हूँ एहतिराम-ए-आरज़ू होशियार ऐ इंफ़िआ'ल-ए-कैफ़-ज़ा हुस्न तक पहुँचा पयाम-ए-आरज़ू चश्म-ए-लुत्फ़-आगीं नए अंदाज़ से ले रही है इंतिक़ाम-ए-आरज़ू अहल-ए-दिल ज़िंदा हैं किस उम्मीद पर नज़्म-ए-दुनिया है निज़ाम-ए-आरज़ू यास की गुंजाइशें किस दिल में हैं ले रहा है कौन नाम-ए-आरज़ू बज़्म-ए-अंजुम जब सरापा-गोश थी काश तुम सुनते पयाम-ए-आरज़ू आह अब ख़ुद्दारी-ए-अकबर कहाँ हो गई वो भी ग़ुलाम-ए-आरज़ू