आईना बन जाइए जल्वा-असर हो जाइए सामने वो हों तो सर-ता-पा नज़र हो जाइए सोज़-ए-दिल से गोशा-ए-तन्हाई में क्या फ़ाएदा इस तरह जलिए चराग़-ए-रहगुज़र हो जाइए इस उदासी का धुँदलका ख़त्म हो शायद कभी शाम से पहले ही उनवान-ए-सहर हो जाइए मंज़िल-ए-उल्फ़त पे दिल तन्हा पहुँच सकता नहीं आप अगर चाहें तो मेरे हम-सफ़र हो जाइए ख़ुद-बख़ुद सारे ज़माने को ख़बर हो जाएगी होशियारी है कि सब से बे-ख़बर हो जाइए शौक़ कहता है कि सज्दों में तसलसुल चाहिए दिल ये कहता है कि जज़्ब-ए-संग-ए-दर हो जाइए जब किसी से पेश-क़दमी ज़ुल्म की रुकती न हो उस जगह लाज़िम है ख़ुद सीना-सिपर हो जाइए इक अज़ाब-ए-मुस्तक़िल है फ़िक्र-ए-तामीर-ए-मकाँ साकिन-ए-सहरा-ए-बे-दीवार-ओ-दर हो जाइए कश्मकश में इन्फ़िरादिय्यत ज़रूरी है 'सबा' जिस तरफ़ कोई नहीं होता उधर हो जाइए