आज भी वो उसी सुभाव का है वही अंदाज़ रख-रखाव का है ज़िंदगी से नज़र मिला के चलो रास्ता इक यही बचाव का है उस को भूलें तो किस तरह भूलें उस से रिश्ता अजब लगाव का है ज़िंदगी क्या है क्या बताएँ तुम्हें हाथ से रोकना बहाव का है जी में आता है बात करते जाएँ उस का लहजा भी क्या रचाव का है जो दहकता है मेरे सीने में ये तो शो'ला उसी अलाव का है मंज़िलें दूर भी नहीं 'शबनम' असल में मसअला घुमाव का है