आज फिर रू-ब-रू करोगे तुम मुझ से क्या गुफ़्तुगू करोगे तुम मुझ से लोगे मिरे लहू क़िसास फिर मुझे सुर्ख़-रू करोगे तुम हैफ़ हो मेरी बद-मिज़ाजी पर आप अपना लहू करोगे तुम तुम गँवा दोगे एक दिन मुझ को फिर मिरी जुस्तुजू करोगे तुम तुम सफ़-ए-दोस्ताँ में हो लेकिन फिर भी कार-ए-अदू करोगे तुम ज़ख़्म पर ज़ख़्म खाए जाते हो और रफ़ू पर रफ़ू करोगे तुम हम भी मक़्तल में सर कटाएँगे अपने ख़ूँ से वुज़ू करोगे तुम ऐ मिरी जान ऐब है ये भी हम को मैं तुम को तू करोगे तुम मैं तो 'शाहिद' भी हूँ 'कमाल' भी हूँ मेरे हक़ में ग़ुलू करोगे तुम