आज कल आप साथ चलते नहीं By Ghazal << झंकार है मौजों की बहते हु... दोस्ती में न दुश्मनी में ... >> आज कल आप साथ चलते नहीं इस लिए लोग हम से जलते नहीं कैसे ग़ज़लों की रुत जवाँ होगी जब निगाहों के तीर चलते नहीं तुम को दुनिया कहेगी दीवाना रुत बदलती है तुम बदलते नहीं शहरों शहरों हमारा चेहरा है और हम घर से भी निकलते नहीं Share on: