आँख से तारे टूट रहे हैं By Ghazal << आग जो दिल में लगी है वो ब... दरिया में दश्त दश्त में द... >> आँख से तारे टूट रहे हैं ख़्वाब हमारे टूट रहे हैं साबित हैं आईने लेकिन अक्स हमारे टूट रहे हैं सारे यार बिछड़ जाएँगे रोज़ सितारे टूट रहे हैं जुगनू बन कर मैं ने देखा कुछ अँधियारे टूट रहे हैं ढूँड रहा है दरिया किस को रोज़ किनारे टूट रहे हैं Share on: