आँखों में मिरी फिरती है तस्वीर किसी की तस्वीर में हूँ मेरी है तस्वीर किसी की बुत अपने ही को कहते हैं सब अहल-ए-तसव्वुफ़ तस्वीर-ए-बुताँ होती है तस्वीर किसी की है पेश-ओ-अक़ब दिल के मिरे और चप-ओ-रास्त हर लहज़ा मियाँ फिरती है तस्वीर किसी की हस्ती है कहीं और न बस्ती है किसी की देखा तो यही हस्ती है तस्वीर किसी की तस्वीर मिरी मेरे मुसव्विर की है 'मर्दां' हर-दम ये सदा देती है तस्वीर किसी की