आँसूओं में अजब रवानी है शो'ला-ए-ग़म भी पानी पानी है उन को मुझ से जो बद-गुमानी है हादिसा कोई ना-गहानी है मस्त आँखों को देखता हूँ मैं सामने जाम-ए-अर्ग़वानी है हुस्न और इश्क़ का तज़ाद न पूछ इक हक़ीक़त है इक कहानी है ग़ुंचा-ए-गुल ये क्यों फ़सुर्दा हैं किस की गुलशन में पासबानी है तुम भी समझा के देख लो साहिब इश्क़ ने किस की बात मानी है तुम न आना फ़रेब में 'ज़ाकिर' इक तिलिस्म-ए-नज़र जवानी है