आँसुओं से है लिबास अपना ये तर देख लिया कैसा होता है मोहब्बत का सफ़र देख लिया तुम भी उन के ही दिवानों में गिने जाओगे उन की सूरत को अगर एक नज़र देख लिया मुफ़लिसी तेरी इनायत है ये तेरा है करम जो न देखा था कभी आज वो दर देख लिया हम कहीं और भी दिल अपना लगा लेते मगर कोई तुम सा न मिला सारा नगर देख लिया राह मुश्किल थी पर आसान हुई जाती थी मैं ने माँ तेरी दुआओं का असर देख लिया मेरी तस्वीर को सीने से लगाते हो तुम सोचो क्या होगा ज़माने ने अगर देख लिया दोस्ती का मिरी अंजाम न जाने क्या हो आज उस ने मिरा टूटा हुआ घर देख लिया ग़ैर का नाम हथेली पे लिखा है तेरी मैं नहीं हूँ तिरा मंज़ूर-ए-नज़र देख लिया हाल-ए-बद में भी 'फ़राज़' उस ने न पूछा हम को कितनी रखता है हमारी वो ख़बर देख लिया