आप अपना ग़ुबार थे हम तो याद थे यादगार थे हम तो पर्दगी हम से क्यूँ रखा पर्दा तेरे ही पर्दा-दार थे हम तो वक़्त की धूप में तुम्हारे लिए शजर-ए-साया-दार थे हम तो उड़े जाते हैं धूल के मानिंद आँधियों पर सवार थे हम तो हम ने क्यूँ ख़ुद पे ए'तिबार किया सख़्त बे-ए'तिबार थे हम तो शर्म है अपनी बार बारी की बे-सबब बार बार थे हम तो क्यूँ हमें कर दिया गया मजबूर ख़ुद ही बे-इख़्तियार थे हम तो तुम ने कैसे भुला दिया हम को तुम से ही मुस्तआ'र थे हम तो ख़ुश न आया हमें जिए जाना लम्हे लम्हे पे बार थे हम तो सह भी लेते हमारे ता'नों को जान-ए-मन जाँ-निसार थे हम तो ख़ुद को दौरान-ए-हाल में अपने बे-तरह नागवार थे हम तो तुम ने हम को भी कर दिया बरबाद नादिर-ए-रोज़गार थे हम तो हम को यारों ने याद भी न रखा 'जौन' यारों के यार थे हम तो