आप के दिल का मिरे दिल का नफ़ाज़ क्या करे मक़्तूल-ओ-क़ातिल का नफ़ाज़ फिर गया मुझ को ज़बाँ दे कर कोई खुल गया यूँ ऊपरी दिल का नफ़ाज़ जादा-ए-इश्क़-ओ-वफ़ा में चाहिए रहरवों पर शौक़-ए-मंज़िल का नफ़ाज़ मर गए लाखों गला ख़ुद काट कर अल्लाह अल्लाह तेग़-ए-क़ातिल का नफ़ाज़ हम ने पाया हम ने देखा जा-ब-जा इश्क़-ए-सादिक़ हुस्न-ए-कामिल का नफ़ाज़ फिर गए नावक भी उन के देख कर मेरे दिल में हसरत-ए-दिल का नफ़ाज़ पहले देख आईना ऐ आईना-रू जाँच फिर मद्द-ए-मुक़ाबिल का नफ़ाज़ पाँव रखना मुझ को मुश्किल हो गया था ये हुक्म-ए-मीर-ए-महफ़िल का नफ़ाज़ जज़्ब-ए-कामिल इश्क़ में है ख़ास चीज़ हो न क्यूँकर जज़्ब-ए-कामिल का नफ़ाज़ अश्क आँखों से रुकें मुमकिन नहीं दिल ही तक महदूद है दिल का नफ़ाज़ 'नूह' ग़र्क़-ए-बहर-ए-उल्फ़त हो गए काम आया कुछ न साहिल का नफ़ाज़