आप की गर मेहरबानी हो चुकी By Ghazal << दिल की दुनिया देख कर क्यू... कुछ बात रह गई थी बताने के... >> आप की गर मेहरबानी हो चुकी तो हमारी ज़िंदगानी हो चुकी बैठ कर उठ्ठे न कू-ए-यार से इंतिहा-ए-नातवानी हो चुकी हँस दिया रोने पे वो ऐ चश्म-ए-तर आबरू अश्कों की पानी हो चुकी Share on: