आप से दिल लगाना ज़रूरी नहीं By Ghazal << अब हुस्न-ओ-इश्क़ के भी क़... ज़ुल्म सहते रहे शुक्र करत... >> आप से दिल लगाना ज़रूरी नहीं जान कर चोट खाना ज़रूरी नहीं प्यार से देख लो यूँ ही मर जाएँगे हर सितम आज़माना ज़रूरी नहीं तू ख़ुदा के लिए मेरा दिल तोड़ दे रोज़ का ये बहाना ज़रूरी नहीं इश्क़ को एक लम्हा बहुत है यहाँ रोज़ मिलना मिलाना ज़रूरी नहीं Share on: