आप से झुक के जो मिलता होगा उस का क़द आप से ऊँचा होगा नुक्ता-चीनों पे जो हँसता होगा उस को अपने पे भरोसा होगा वो जो वीरान फिरा करता है उस के सर में कोई सहरा होगा तुम न समझोगे मिरी बात मगर सोचने वाला समझता होगा वो जो मरने पे तुला है 'अख़्तर' उस ने जी कर भी तो देखा होगा