आप से शरह-ए-आरज़ू तो करें आप तकलीफ़-ए-गुफ़्तुगू तो करें वो यहीं हैं जो वो कहीं भी नहीं आइए दिल में जुस्तुजू तो करें अहल-ए-दुनिया मुझे समझ लेंगे दिल किसी दिन ज़रा लहू तो करें रंग ओ बू क्या है ये तो समझा दो सैर-ए-दुनिया-ए-रंग-ओ-बू तो करें तुम से मिलने की आरज़ू ही सही तुम से मिलने की आरज़ू तो करें वो उधर रुख़ इधर है मय्यत का लोग 'फ़ानी' को क़िबला-रू तो करें