आप को जिस पे प्यार आ जाए उस के दिल को क़रार आ जाए तेरी चश्म-ए-करम के सदक़े में उम्र-भर का ख़ुमार आ जाए तुम उधर और मैं इधर तन्हा कैसे दिल को क़रार आ जाए उन की अबरू की बात निकली है कुंद ख़ंजर पे धार आ जाए शे'र में तल्ख़ियाँ भरो 'अख़्तर' फिर ग़ज़ल पर निखार आ जाए