आरज़ू-ए-विसाल में सब हैं By Ghazal << गुज़रते दिन के दुखों का प... शहर-ए-बे-सौत में अमाँ मिल... >> आरज़ू-ए-विसाल में सब हैं जुस्तुजू-ए-मुहाल में सब हैं हिज्र अपनी तरफ़ से है वर्ना उस तरफ़ से विसाल में सब हैं वा-ए-ग़फ़लत उधर की कहते नहीं अपनी ही क़ील-ओ-क़ाल में सब हैं ऐ 'रज़ा' तुझ को कुछ ख़याल नहीं अपने अपने ख़याल में सब हैं Share on: