आसाँ हर एक हो गई मुश्किल मिरे लिए जिस दिन से मोहतरम हुआ क़ातिल मिरे लिए मैं वहशतों में दश्त-ओ-बयाबाँ की हो गई मुद्दत से मुल्तमिस है मिरा दिल मिरे लिए यूँ रास्तों से इन दिनों दिलचस्पियाँ बढ़ीं क़दमों की ख़ाक हो गई मंज़िल मिरे लिए आसानियाँ नज़र को बचा कर चली गईं ठहरे रहे तमाम मसाइल मिरे लिए आवाज़ मेरे हक़ में ये किस ने उठाई है इस भीड़ में ये कौन है आदिल मिरे लिए ये और बात है कि तुझे कुछ ख़बर नहीं 'मीना' तिरा ख़याल है कामिल मिरे लिए