आशियाँ छोड़ कर निकल आए जब परिंदों के पर निकल आए उस ने जब हाथ में लिया पत्थर कितने बेताब सर निकल आए दिल कुरेदा तो उस के मलबे से याद के बाम-ओ-दर निकल आए बर्फ़ थी बर्फ़ के पिघलते ही फूल उस शाख़ पर निकल आए जिस तरफ़ रौशनी नहीं आती उस तरफ़ तू अगर निकल आए वो मिरे साथ क्या चला 'ताबिश' वक़्त के बाल-ओ-पर निकल आए