आश्ना कोई बा-वफ़ा न मिला कश्ती-ए-दिल का नाख़ुदा न मिला जा-ए-मरहम नमक छिड़कना था ज़ख़्म खाने का कुछ मज़ा न मिला उस के कूचे में ऐसे भूले हम घर के जाने का रास्ता न मिला दिल दिया जिस को रंज है पाया कोई दिलदार बा-वफ़ा न मिला ज़िंदगी तल्ख़ हो गई अपनी तुझ से मिलने का कुछ मज़ा न मिला देख ली हम ने दोस्ती तेरी हम से अब आँख बेवफ़ा न मिला कुछ इजारा नहीं बने न बने क्या शिकायत है दिल मिला न मिला आसमाँ पर दिमाग़-ए-यार रहा कभी झुक कर वो मह-लक़ा न मिला बोसा-ए-लब की तुम से क्या उम्मीद एक बीड़ा भी पान का न मिला ढूँढती हैं कुनिश्त में जा कर शैख़ का'बे में तो ख़ुदा न मिला एक इक को पिलाए दो दो जाम दर्द भी हम को साक़िया न मिला नक़ल कब अस्ल की मुक़ाबिल है उस के चेहरे से आ बना न मिला नज़र आई जो वो दहन तो कहूँ मुझ को अन्क़ा का आशियाना मिला जिन को तकिया था अपनी मसनद पर उन को देखा कि बोरिया न मिला 'बहर' निकले थे ढूँढने उस को ऐसे खोए गए पता न मिला