आँसुओं से ख़ून के अजज़ा बदलते जाएँगे दिल के सब अरमान आँखों से निकलते जाएँगे इक क़यामत है इबारत वादा-ए-दीदार की दिन गुज़रते जाएँगे मानी बदलते जाएँगे हर नफ़स है शम्मा-ए-ग़म का शोला मैं जो कुछ कहूँ मिस्ल-ए-परवाना मेरे अल्फ़ाज़ जलते जाएँगे है दिगर-गूँ हाल-ए-दिल क़ासिद हमें भी साथ ले जा-ब-जा ख़त की इबारत हम बदलते जाएँगे इश्क़ की वादी में 'नातिक़' गिर के मरना है ज़रूर हर क़दम पे कब तक आख़िर हम सँभलते जाएँगे