अब भी इक वारदात बाक़ी है दिन हुआ क़त्ल रात बाक़ी है हो गई दफ़्न आस की दुल्हन दर्द-ओ-ग़म की बरात बाक़ी है क्या हुआ साथ आप ने छोड़ा ग़म-ज़दा दिल का सात बाक़ी है ज़िंदगी गो नहीं है शहरों में जंगलों में हयात बाक़ी है बात तो हो चुकी थी ख़त्म मगर जाने क्यों फिर भी बात बाक़ी है रंज सहने के वास्ते 'शाग़िल' इक हमारी ही ज़ात बाक़ी है