अब छलकते हुए साग़र नहीं देखे जाते तौबा के ब'अद ये मंज़र नहीं देखे जाते मस्त कर के मुझे औरों को लगा मुँह साक़ी ये करम होश में रह कर नहीं देखे जाते साथ हर एक को इस राह में चलना होगा इश्क़ में रहज़न ओ रहबर नहीं देखे जाते हम ने देखा है ज़माने का बदलना लेकिन उन के बदले हुए तेवर नहीं देखे जाते