अब देखें फिर हम ऐ हमदम किस रोज़ मुँह उस का देखेंगे वो ज़ुल्फ़ वो तिल वो ख़ाल वो ख़द वो रंग वो नक़्शा देखेंगे जब पास सनम के बैठेंगे ख़ुश हो के उस के लुत्फ़ से हम वो बज़्म वो ख़त वो ऐश वो मय वो जाम वो मीना देखेंगे मसरूर बहुत दिल होवेगा ख़ुश जी भी होगा क्या क्या जब वो नाज़ वो धज वो आन वो सज वो ज़ेब वो बाला देखेंगे वो काजल चंचल आँखों का वो मेहंदी नाज़ुक हाथों की वो पान वो लब वो हुस्न वो छब वो गोश वो बाला देखेंगे है जो जो ख़्वाहिश दिल में 'नज़ीर' आवेगा इधर महबूब तो हम वो रब्त-ओ-दहन वो चैन वो सुख वो सैर वो चर्चा देखेंगे