अब दिल की ये शक्ल हो गई है जैसे कोई चीज़ खो गई है पहले भी ख़राब थी ये दुनिया अब और ख़राब हो गई है इस बहर में कितनी कश्तियों को साहिल की हवा डुबो गई है गुल जिन की हँसी उड़ा चुके थे! शबनम भी उन्हीं को रो गई है कल से वो उदास उदास हैं कुछ शायद कोई बात हो गई है शादाब है जिस से किश्त-ए-हस्ती वो बीज भी मौत बो गई है