अब जो पैरों पे हम खड़े हुए हैं By Ghazal << जब मसनद-ए-शुहूद पे लाया ग... यूँ तो मैं नहीं हूँ तिरे ... >> अब जो पैरों पे हम खड़े हुए हैं एक दुनिया से हम लड़े हुए हैं देख हम को कहानियाँ न सुना हम इसी शहर में बड़े हुए हैं ख़ुद को बर्बाद कर लिया हम ने अपनी ज़िद पर मगर अड़े हुए हैं कोई तो हम को थामने आए कोई देखे कि हम खड़े हुए हैं Share on: