अब किसी तस्वीर की रानाइयाँ बातें करें मैं तो चुप हूँ अब मिरी तन्हाइयाँ बातें करें इतनी दीवारों में इक दीवार ही समझा मुझे आ के मेरे साए में परछाइयाँ बातें करें रोकना भी नारवा है टोकना भी नागवार कान तब होते हैं जब रुस्वाइयाँ बातें करें ख़ुद-कलामी का फ़ुसूँ तन्हाइयों की गुफ़्तुगू इस से तो बेहतर है जब परछाइयाँ बातें करें क़ाफ़िले की तो समाअ'त और ज़बाँ तक लुट गई हिंदिसों के दश्त में पुरवाइयाँ बातें करें ये दर-ओ-दीवार ये छत जो कभी गिरती नहीं मेरे उठने तक यही पहनाइयाँ बातें करें