अब मुलाक़ात एक काम हुई ये मोहब्बत भी यूँ तमाम हुई हम ने गो ख़ूब बाँध ली तम्हीद आख़िरश बस उसी का नाम हुई अब तुम्हें वक़्त चाहिए वाह वाह मेरी ना-वक़्त जा के ख़ाम हुई बेच कर तुम ने की खरी क़ीमत ख़्वाह वो दिरहम हुई कि दाम हुई मौत से ख़ूब यारियाँ गाँथीँ तब कहीं जा के ज़ीस्त राम हुई तेरी रौशन जबीं से ज़ुल्फ़ों तक ज़िंदगानी की सुब्ह शाम हुई ज़िंदगी है तवील सब ने कहा चल के देखा तो एक गाम हुई