अब न हसरत न पास है दिल में By Ghazal << काकुल-ओ-चश्म-ओ-लब-ओ-रुख़स... ग़म हर इक आँख को छलकाए ज़... >> अब न हसरत न पास है दिल में कोई भी इस मकान में न रहा क्या शिकायत जो कट गए गाहक माल ही जब दुकान में न रहा मर के रहना पड़ा अब उस में आह जीते-जी जिस मकान में न रहा 'नादिर' अफ़्सोस क़दर-दान-ए-सुख़न एक हिन्दोस्तान में न रहा Share on: