अब तो उस सम्त से नफ़रत भी नहीं आती है ऐसे हालात की शामत भी नहीं आती है हिज्र से टूट के मैं आह-ओ-बुका करने लगा मुझ अनाड़ी को मोहब्बत भी नहीं आती है हम मुराआत के लाएक़ ही नहीं हैं शायद हम को तो ठीक से मिदहत भी नहीं आती है ये विलायत है कि जिस राह पे वो चल रहे हैं इस क़दर गिर के तो दौलत भी नहीं आती है ग़ैर के साथ वो आया है मिरे घर 'तस्लीम' वैसे तन्हा तो मुसीबत भी नहीं आती है