वो ब-रंग-ए-ए'तिबार आँखों में है एक तस्कीं इक क़रार आँखों में है मैं नई रुत के सफ़र पर हूँ मगर पिछले मौसम का ख़ुमार आँखों में है ख़ैर-मक़्दम कह रहे हैं सुर्ख़ लब चाहतों का इश्तिहार आँखों में है रौशनी की तरह वो रुख़्सत हुआ जुगनुओं की इक क़तार आँखों में है डूबते लम्हों की कश्ती पर सवार कारवान-ए-इंतिज़ार आँखों में है एक तूफ़ाँ दिल की गर्दिश में 'सुख़न' एक जू-ए-अश्क-बार आँखों में है