अभी रूठी हुई है पर यही तस्वीर बोलेगी यक़ीनन एक दिन हम से हमारी हीर बोलेगी मिरे दुश्मन अभी है वक़्त तो समझा रहा हूँ मैं अगर मैं चुप हुआ तो फिर मिरी शमशीर बोलेगी अरे नादान दुनिया में तिरा किरदार बोलेगा ये किस ने कह दिया तुझ से तिरी जागीर बोलेगी मियाँ क़िस्मत को रोने से यहाँ कुछ भी नहीं होगा यहाँ तदबीर से इंसान की तक़दीर बोलेगी वफ़ा के नाम पर साहब हमारा मुँह न खुलवाओ अगर बोली ज़बाँ तो फिर मिसाल-ए-तीर बोलेगी लिबास-ए-जिस्म फट जाए मिरी गर्दन भी कट जाए मगर ये रूह फिर भी नारा-ए-तकबीर बोलेगी ज़बाँ बोले या न बोले मगर 'साजिद' ज़माने में जो लिख कर छोड़ जाऊँगा वही तहरीर बोलेगी