अभी तक ज़बानों पे फ़रियाद है मिरा मुल्क बरसों से आज़ाद है इसे सुन के है दाद मुझ को मिली मिरी शाइ'री मेरी रूदाद है तुम्हें अदल-ओ-इंसाफ़ आता नहीं हमें अपनी सुल्तानियत याद है मैं उँगली पकड़ कर चला न कभी मिरा तज्रबा मेरा उस्ताद है उख़ुव्वत से जीने का फ़न सीख ले अगर तू भी आदम की औलाद है करो नेकियाँ काम अच्छे करो हर इक ज़िंदगानी की मीआ'द है दुआएँ बुज़ुर्गों की शामिल रहें तो 'दानिश' मिरा घर भी आबाद है