अभी तो दिल के फ़क़त पहले पाएदान पे हो मगर यक़ीन के तुम आख़िरी निशान पे हो न जाने कौन सी मंज़िल में इश्क़ है मेरा किसी दुआ की तरह तुम मिरी ज़बान पे हो बुलंदियों पे तवाज़ुन की एहतियात रखो ये वो जगह है कि तुम हर घड़ी ढलान पे हो हमारी नींद फिर आँखों से हो गई रुख़्सत कि जैसे ख़्वाब के हमराह फिर उड़ान पे हो खिलौनों की नहीं अब जुस्तुजू है बचपन की ख़रीद लूँ मैं अगर ये किसी दुकान पे हो हैं कितने ग़म जो मुझे चारागर ने बख़्शे हैं अब इन ग़मों का मुदावा तो आसमान पे हो तुम्हारे दिल में मोहब्बत के फूल यूँ महकें हमारे नाम की तितली भी फूल-दान पे हो ज़मीं पे जाल नहीं है तो क्या पता 'ख़ालिद' शिकारी घात लगाए किसी मचान पे हो