अब्र का साया धूप की चादर तेरे नाम इस धरती के सारे मंज़र तेरे नाम शब के गिर्ये से फ़ुर्सत की सबील कहाँ जैसा भी है अपना मुक़द्दर तेरे नाम गिरती बिजली जलता नशेमन हँसते लोग मेरे पत्थर मेरे गुल-ए-तर तेरे नाम गली गली में तेज़ हवा की सरगोशी और घर घर के सर्व-ओ-सनोबर तेरे नाम चुप रह कर मैं जी लूँ ज़ुल्म की नगरी में या मैं हर्फ़ सजा लूँ लब पर तेरे नाम रज़्म में सारी सुल्ह की बातें और 'बेदी' बज़्म में सब चलते हुए ख़ंजर तेरे नाम