अब्र नारियल नद्दी रास्ते पे मैं और तू आत्मा को कलपाए कोएलों की कू हू कू कूफ़ा तेरे कूचों से अपना कारवाँ गुज़रा सर सवार नेज़ों पर क़िबला-रू सितारा-जू या दरून-ए-अफ़साना तेरी मेरी चाप उभरे मध-मिलन की रातों में या जलें बुझीं जुगनू रोज़-ए-आफ़रीनश से अपनी हम-क़दम सजनी पंछियों की चहकारें बंसियों की हाव-हू राहगुज़ार परग्ज्ञाँ तू मिले सदा सय्याँ कर गया है बे-क़ाबू तेरे प्यार का जादू गात पर शरारत से फूलती हुई पुर्वा भेद और भीतर में झूलती हुई ख़ुशबू पीछे पीछे शहज़ादा बीती दास्तानों में आगे आगे घोड़े के भागता हुआ आहू मोड़ इक कहानी का सच की पासबानी का उल-अतश की आवाज़ें दश्त में किनार-ए-जू