अच्छा ये करम हम पे तो सय्याद करे है पर नोच के अब क़ैद से आज़ाद करे है चुप-चाप पड़ा रहवे है बीमार तुम्हारा नाला ही करे है न वो फ़रियाद करे है ऐ बाद-ए-सबा उन से ये कह दीजियो जा कर परदेस में इक शख़्स तुम्हें याद करे है फ़रज़ाना उजाड़े है भरे शहरों को लेकिन दीवाना तो सहरा को भी आबाद करे है आवे है तेरा नाम तो हंस देवे है अक्सर दीवाना तेरा यूँ भी तुझे याद करे है निस्बत है नगीने से ये बोली है हमारी क्या नाक़िद-ए-फ़न हम से तू इरशाद करे है लिख लिख के मिटा देवे है तू नाम ये किस का सच कहियो 'सरोश' आज किसे याद करे है