अच्छा जो ख़फ़ा हम से हो तुम ऐ सनम अच्छा लो हम भी न बोलेंगे ख़ुदा की क़सम अच्छा मशग़ूल किया चाहिए इस दिल को किसी तौर ले लेवेंगे ढूँड और कोई यार हम अच्छा गर्मी ने कुछ आग और भी सीने में लगाई हर तौर ग़रज़ आप से मिलना ही कम अच्छा अग़्यार से करते हो मिरे सामने बातें मुझ पर ये लगे करने नया तुम सितम अच्छा हम मोतकिफ़-ए-ख़ल्वत-ए-बुत-ख़ाना हैं ऐ शैख़ जाता है तो जा तू पए-तौफ़-ए-हरम अच्छा जो शख़्स मुक़ीम-ए-रह-ए-दिलदार हैं ज़ाहिद फ़िरदौस लगे उन को न बाग़-ए-इरम अच्छा कह कर गए आता हूँ कोई दम को अभी मैं फिर दे चले कल की सी तरह मुझ को दम अच्छा इस हस्ती-ए-मौहूम से मैं तंग हूँ 'इंशा' वल्लाह कि इस से ब-मरातब अदम अच्छा