अदक़ ये बात सही फिर भी कर दिखाएँगे बुलंदियों पे पहुँच कर तुझे बुलाएँगे मुझे वो वक़्त वो लम्हात याद आएँगे ये नन्हे लॉन में जब तितलियाँ उड़ाएँगे किया है अहद अकेले रहेंगे हम दाइम भरी रहे तिरी दुनिया में हम न आएँगे सुमों का रास्ता तकती रहेंगी सांवलियाँ जो पंछियों की तरह लौट कर न आएँगे मिरी क़सम तुझे शहला न रो न हो बेताब तिरे ज़वाल के ये दिन भी बीत जाएँगे