अधूरी सी कहानी को न तुम समझे न हम समझे हमारी ज़िंदगानी को न तुम समझे न हम समझे हमारे दरमियाँ का फ़ासला कम हो भी सकता था ज़रा सी बद-गुमानी को न तुम समझे न हम समझे मोहब्बत फूल भी ख़ुशबू भी शो'ला भी है शबनम भी इसी तर्ज़-ए-बयानी को न तुम समझे न हम समझे निगाहों से निगाहों पर अयाँ हर राज़ था लेकिन नज़र की तर्जुमानी को न तुम समझे न हम समझे 'सदफ़' आईं बहारें फिर पयाम-ए-रंग-ओ-बू ले कर मगर इस रुत-सुहानी को न तुम समझे न हम समझे