अदू के पैरों से काँटे निकालने वाले कहाँ हैं नेकियाँ दरिया में डालने वाले उछालते हैं वो अब पगड़ियाँ बुज़ुर्गों की हथेलियों पे सरों को उछालने वाले ख़ुदा तुझे भी कहीं अपने दर से टाल न दे ऐ अपने दर से सवाली को टालने वाले हमें भी मिल गए कुछ दोस्त दोस्तों जैसे हम आस्तीं में हैं अब साँप पालने वाले दिखाई देंगे वो अब संग-रेज़े चुनते हुए समुंदरों की तहों को खंगालने वाले वो जिन को लुत्फ़ जड़ें काटने में आता है वो कब हैं गिरते हुओं को सँभालने वाले