अगर नज़र में कोई जुस्तुजू नहीं तो नहीं जो मैं नहीं तो नहीं और जो तू नहीं तो नहीं किसे ख़याल है अपने सिवा किसी का यहाँ यहाँ किसी को तिरी आरज़ू नहीं तो नहीं मिरे तो शहर में बहती हैं ख़ून की नदियाँ उसे नसीब कोई आबजू नहीं तो नहीं अभी तो ज़ेहन में सपनों का शोर जारी है अभी जो तुम से कोई गुफ़्तुगू नहीं तो नहीं तुम्हें तुम्हारी ये सज-धज रहे मुबारक और मिरा दरीदा गरेबाँ रफ़ू नहीं तो नहीं मैं अपने तर्ज़ पे आया हूँ जीत कर बाज़ी तिरी नज़र में अगर सुर्ख़-रू नहीं तो नहीं किसी मलीह से चेहरे पे जान दें 'फ़रहत' कोई नसीब में गर माह-रू नहीं तो नहीं